दीवाली रोशनी का त्यौहार है। दीपों से जगमग करते घर किसे अच्छे नहीं लगते। आजकल दियों का स्थान बिजली की लडियों ने लिया है। खासकर चाइनीज झालरों ने तो बाजार को पाट सा दिया है। हो सकता है कि आप भी अपने घर के लिए झालरें लेने जा रहे हों। अगर आप ऐसा करने वाले हों, तो मेरी आपसे गुजारिश है कि आप एल ई डी लाइट ही झालरें खरीदें, इससे बिजली कम खर्च होती है, और देखने में भी अच्छा लगता है।
और हॉं, दीवाली में पटाखों की बात न हो, तो कुछ सूना सूना सा लगता है। सही कहा न। मुझे तो फुलझडी ही पसंद आती है। अरे भई, इसमें जलने का खतरा जो नहीं रहता न। अगर आप पटाखे लेने जा रहे हों, तो इस बात का ध्यान रखें कि कम आवाज वाले पटाखे खरीदें। क्या कहा क्यों। अरे भई, इस धरती पर हमारे साथ बहुत सारे जीव जन्तु रहते हैं, जोकि ध्वनि के प्रति बहुत संवेदशनशीन होते हैं। उन्हें इनसे बहुत तकलीफ होती है। और हां आजकल तो बिना बारूद वाले पटाखे भी आ गये हैं। इनका फायदा ये है कि इनसे प्रदूषण नहीं होता। अच्छा हो यदि आप इन्हें ही खरीदें। इससे वायु प्रदूषण कम होगा और दमे के रोगियों को भी कम मुश्किल होगी। साथ ही जलने का भी खतरा नहीं रहेगा।
उम्मीद करती हूं कि ये बातें आपको पसंद आएंगी और आप इनका ख्याल रखेंगे।
Human and Science
राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्यौगिकी संचार परिषद द्वारा उत्प्रेरित एवं समर्थित।
3.11.10
7.9.10
ब्लॉग लेखन के द्वारा विज्ञान संचार कार्यशाला मे आकर बहुत कुछ सीखने को मिला।
अब से पहले मैंने ब्लॉग का नाम तो जरूर पढा था, लेकिन ये होता क्या है और कैसे बनाया जाता है मुझे इसकी जानकारी नहीं थी। तभी एक दिन मेरी फ्रेंड ने बताया कि लखनऊ में तस्लीम नामक संस्था ब्लॉग बनाना सिखाने के लिए वर्कशाप आयोजित करने जा रही है। जब मैंने से सुचना सुनी, तो बहुत उत्साहित हुई और इस वर्कशाप के लिए अपना नाम रजिस्टर्ड करवा दिया।
वर्कशाप में पांच दिन बहुत कुछ सीखने को मिला। मुझे सबसे ज्यादा शैलेश भारतवासी सर की बातें अच्छी लगीं। उन्होंने अपने पॉवर पाइंट के द्वारा इतनी आसानी से सारी बातें बताईं, जिससे हमें वे सारी की सारी बातें समझ में आ गईं।
बनारस से आई अरविंद सर की वैज्ञानिक बातों ने हमारा उत्साह विशेष रूप से बढ़ाया याथ ही दिल्ली से आए पटैरिया सर की बातों ने भी हमें बहुत उत्साहित किया। उन्होंने कहा कि हमारे लिए यह एक अवसर के समान है, जिसका हमे फायदा उठाना चाहिए।
मैं इस वर्कशाप के लिए तस्लीम और एन सी एस टी सी की आभार हूं, जिसके जरिए मुझे सांइस ब्लागिंक की जानकारी मिली। मैं आगे भी इस क्षेत्र में काम करना चाहूंगी और मानव के जीवन से जुडे विविध पक्षों पर अपने आलेख लिखती रहूंगी। मैंने अपपना यह ब्लॉग यूं तो वर्कशाप में ही बना लिया था, लेकिन इसमें पोस्ट देर से लगाई है, इसके लिए मैं माफी चाहूंगी।
आप सबको मेरे विचार कैसे लगे, यह जरूर बताना। आपके विचार जानकर मुझे खुशी होगी और मेरा हौसला भी बढ़ेगा।
वर्कशाप में पांच दिन बहुत कुछ सीखने को मिला। मुझे सबसे ज्यादा शैलेश भारतवासी सर की बातें अच्छी लगीं। उन्होंने अपने पॉवर पाइंट के द्वारा इतनी आसानी से सारी बातें बताईं, जिससे हमें वे सारी की सारी बातें समझ में आ गईं।
बनारस से आई अरविंद सर की वैज्ञानिक बातों ने हमारा उत्साह विशेष रूप से बढ़ाया याथ ही दिल्ली से आए पटैरिया सर की बातों ने भी हमें बहुत उत्साहित किया। उन्होंने कहा कि हमारे लिए यह एक अवसर के समान है, जिसका हमे फायदा उठाना चाहिए।
मैं इस वर्कशाप के लिए तस्लीम और एन सी एस टी सी की आभार हूं, जिसके जरिए मुझे सांइस ब्लागिंक की जानकारी मिली। मैं आगे भी इस क्षेत्र में काम करना चाहूंगी और मानव के जीवन से जुडे विविध पक्षों पर अपने आलेख लिखती रहूंगी। मैंने अपपना यह ब्लॉग यूं तो वर्कशाप में ही बना लिया था, लेकिन इसमें पोस्ट देर से लगाई है, इसके लिए मैं माफी चाहूंगी।
आप सबको मेरे विचार कैसे लगे, यह जरूर बताना। आपके विचार जानकर मुझे खुशी होगी और मेरा हौसला भी बढ़ेगा।
सदस्यता लें
संदेश (Atom)